लोकसभा ने तीन तलाक़ के खिलाफ बिल पास कर दिया है | Triple Talaq को जुर्म घोषित करने संबंधी विधेयक शामिल है | अब राजयसभा में इस बिल को पास कराने की चुनौती सामने आ गयी है | अगले हफ्ते इस मुद्दे को लेकर बहस शुरू हो जाएगी| ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर राजयसभा इस बिल को पास कर देती है, और साथ ही राष्ट्रपति की भी सहमति मिल जाती है तो तीन तलाक़ एक विधेयक कानून बन जाएगा |
कैसे है यह चुनौतीपूर्ण ?
केंद्र सरकार का राज्यसभा में Triple Talaq Bill को पास कराना आसान नहीं लग रहा है | इस बिल का नाम ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ है | तीन तलाक के खिलाफ जो सज़ा बनाई गयी है उसका विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं | इसमें संसोधन कराने के प्रस्ताव पेश किये जा रहे हैं | ऐसे में राज्यसभा से इस बिल को पारित कराना एक चुनौती नही तो क्या है? राजयसभा में कुल 245 सदस्य हैं जिसमे से बीजेपी के केवल 57 सांसद है | बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार को अपने सभी सहयोगी दलों का साथ चाहिए होगा | मोदी जी को कम से कम 35 सांसदों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी |
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मुस्लिम महिलाओं को मिलेगी ये ताकतें और हक़
लोकसभा में इस बिल के पारित होने के बाद से तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की उम्मीदें बंध गई हैं | अगर अब कोई मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देता है, तो उसके लिए ये विकल्प होंगे|
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- वैधानिक ताकत:- तीन तलाक से पीड़ित मुस्लिम महिला कानून की शरण में जाकर अपनी अर्जी लगा सकती है | न्याय पाने के लिए वह महिला अपनी लड़ाई लड़ सकती है |
- राज्सभा से बिल के पास हो जाने के बाद तीन तलाक देना एक कानूनी जुर्म कहलायेगा | ऐसे में अगर कोई पति अपनी पत्नी को एक समय में तीन तलाक देता है तो वह पत्नी अपना हक़ माँग सकती है |
- पति को तीन तलाक से पीड़ित महिला और बच्चों के जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता देना पड़ेगा |
किस प्रकार के तीन तलाक को नहीं मिलेगी मान्यता :-
- कोई भी पति अपनी पत्नी बोलकर, लिखकर, फेसबुक पर, मोबाइल पर , वाट्सएप पर या मेल के जरिये एक साथ तीन तलाक़ नहीं दे सकता है | इसे गैरकानूनी माना जाएगा |
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- हालाँकि कोई भी एक साथ तीन तलाक नहीं दे सकता है | इस पर भी अगर कोई देता है तो उसे एक साल से लेकर तीन साल तक की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है|
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