Tuesday, March 28
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ऐसे थे हमारे मगध के राजा सम्राट अशोक !

 

राजा अशोक के बारे में कुछ लोगो का मानना है की वो बड़े क्रूर राजा थे वही कुछ लोगो का मानना है की 
उन्होंने अपनी शासनकाल  में बहुत सारे धार्मिक कार्य किये तो आइये जाने की कैसे थे चक्रवर्ती राजा अशोक ?
अशोक मगध के राजा बिंदुसार के पुत्र थे। वैसे तो कोई भी उनकी जीवन का अनुमान उस समय की लिखी गई कहानियो से लगता है लेकिन बोद्ध ग्रन्थ दीपवंश अनुसार उनके पिता बिंदुसार के १६ रानियां थीं और अशोक के अलावा उनके १०० भाई थे। अशोक अपने सभी भाईयो में सबसे अधिक बुद्धिमान और प्रतिभाशाली थे। अशोक को शाशन की जानकारी के लिए उज्जैन की जिम्मेदारी दी गई थी।
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बचपन से ही बुद्धिमान थे अशोक 

एक समय ऐसा भी आया था जब बिंदुसार के शासनकाल में बिंदुसार को अपने श्रेष्ट पुत्र को चयन करने में परेशानी नही हुई क्योंकि जब तक्षशिला में बिंदुसार के खिलाफ विद्रोह हुआ तो उस विद्रोह को शांत करने में बिंदुसार का जेष्ट पुत्र सुशीम असफल रहा था तब बिंदुसार ने अशोक को भेजा था। अशोक ने सफलता से विद्रोहियों को शांत किया था। फिर भी उन्हें युवराज बनने से वंचित रखा गया क्योंकि वो बिंदुसार के जेष्य पुत्र नही थे।
राजा बिंदुसार का कार्यकाल लगभग २५ वर्षों तक चला। बिंदुसार को अशोक में बचपन से ही एक राजा बनने के लक्षन दिखाई देते थे इसलिए अपने जेष्ट पुत्र के होते हुए वो चाहते थे की अशोक को राजा बनाया जाय। अशोक के राजा बनने का कुछ श्रेय चाणक्य को भी जाता है क्योंकि राजा के जब बिंदुसार की तबियत ख़राब को गयी थी तब उस समय अशोक उज्जैन में सूबेदार के पद पर कार्यात थे। उन्हें जैसे ही अपने पिता बिंदुसार की हालात के बारे में ज्ञात हुआ वो पाटलिपुत्र की तरफ रवाना हो गए लेकिन उनके रास्ते में रहते ही उनके पिता बिंदुसार की मौत हो गई।
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इस खबर से उन्हें बहुत दुःख हुआ और महल जाने के बाद उनके कुछ न चाहने वालो का सामना भी करना पड़ा। उनके रास्ते में कई बाधाये थी वो युवराज ना होने के कारन बिंदुसार के उत्तराधिकारी होने के काबिल नही थे। लेकिन अशोक की योग्यता में कोई कमी नही थी। एक राजा में जो योग्यता होनी चाहिए वो योग्यता सभी भाइयो में सिर्फ अशोक के पास ही थी। इसलिय जनता की सहयोग से बिंदुसार के देहांत के चार
साल के बाद सन २६९ में औपचारिक रीती रिवाजो से  अशोक का राज्याभिषेक हुआ।
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धम्म नीति का किया विस्तार

अशोक के राज्य सँभालने के लगभग ८ साल बाद अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया। चढ़ाई का उद्देश्य अपने राज्य में ब्यापार को बढ़ावा देना और अपनी सीमा सुरक्षित रखना था। कुछ दिनों के युद्ध के पश्चात इस युद्ध में अशोक को सफलता प्राप्त हुई लेकिन जब अशोक युद्ध भूमि में हुए नरसंहार को देखा तो विजयी होने के बावजूद खुश नही हुआ।
अशोक इस युद्ध के परिणाम से इतना विचलित हो गया की उसने फिर कभी युद्ध ना करने का प्रण लेते हुए अपनी धम्म की नीति बनाई और अपने सभी कर्मचारियों आदेश दिया की कलिंग की जनता पर कोई अत्याचार नही किया जायेगा। अशोक का यही फैसला अशोक को सम्राट अशोक बनाता है। जिसके लिए लोग आज भी अशोक को याद करते है। अशोक का शासन करीब ४० वर्षो तक चला तभी उस ४० वर्ष के अवधि को भारत के इतिहास का सबसे स्वर्णिम युग कहा जाता है .
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