आज के इस चहल पहल की जिंदगी में आप इतने खोये हैं कि अगर आपको अगर रेलवे स्टेशन से गुजरने का मौका मिले तो कई तरह के छोटे छोटे बच्चों का सामना करना पड़ता हैं वो बच्चे आपसे या तो पैसे मांगते है या फिर खाने के लिए मांगते है।
आपको ये जानकर हैरानी होगी की एक ऐसा शख्स जो इस दौर से कभी गुजर चुका है उस समय उस पे क्या बीतती होगी जब वो इस परिस्थिति से गुजरता होगा । हम बात कर रहे है पाकिस्तान क पंजाब के गोविंदपुरा में जन्मे मिल्खा सिंह कि जिनका जन्म पाकिस्तान के रिकॉर्ड के अनुसार 20 नवम्बर 1929 को हुआ था लेकिन कुछ इतिहास के जानकारों का मानना है कि उनका जन्म 17 अक्टूबर 1935 को हुआ था।
आज पूरी दुनिया में नाम कमाने वाले मिल्खा सिंह कभी ऐसे दौर से भी गुजरा करते थे। वैसे तो उनके बहुत सारे किस्से है लेकिन जब वे 1947 में दिल्ली आये तो अपनी सिस्टर के यहां रहते थे । एक बार तो तिहार जेल में भी उन्हें बंद किया गया था बिना टिकट के यात्रा करने के जुर्म में लेकिन उनकी बहन जिनका नाम ईस्वर था , अपने कुछ गहने को बेच कर उन्हें छुड़ाया था। वे 1951 में अपने भाई मल्खान के कहने पर चार प्रयासों के बाद इंडियन आर्मी ज्वाइन किया । फिर सिकंदराबाद में 10 किलोमीटर के दौर के बाद उनका चयन एक स्पेशल आर्मी ट्रेनिंग के लिए हो गया। जब इंडियन आर्मी उन्हें स्पोर्ट्स में चयन कर रही थी तो उन्हें नही पता था कि ओलिम्पिक क्या होता है!
1956 के ओलिम्पिक गेम में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर की दौर में भारत की तरफ से खेला था लेकिन सफल नही रहे थे। 400 मीटर की दौर के बाद एक बैठक में उसे अधिक से अधिक काम करने की प्रेरना मिली थी और प्रशिक्षण के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई थी। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा ।
आइये जानते हैं कितने रेकॉर्ड्स अपने नाम किया ।
- 1958 के 200 मीटर के एशियाई खेलों में पहला रैंक
- 1958 के 400 मीटर के एशियाई खेलों में पहला रैंक
- 1958 के कॉमनवेल्थ गेम में पहला रैंक
- 1959 में उन्हें पद्म श्री का सम्मान मिला।
- 1962 के 400 मीटर के एशियाई खेलों में पहला रैंक
- 1962 के 4*400 मीटर के एशियाई खेलों में पहला रैंक
- 1964 के नेशनल गेम्स (कोलकाता) में दूसरा रैंक।
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