हालाँकि यह प्रतिबन्ध ( ban ) 21 मई से लागू होना था पर आज मजदूर दिवस के अवसर पर मोदी सरकार ने इस vip कोटा को दूर करते हुए अपने मंत्रियों को वीआईपी कल्चर से दूर कर दिया है | जबकि इसका पालन पंजाब के मुखयमंत्री अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश के मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले से ही कर दी है |
लालबत्ती सुविधा है या वीआईपी कल्चर ?:-
जहाँ एक ओर सरकार द्वारा यह red lights मंत्रियों की सुविधा के लिए दिया गया था वहीं दूसरी ओर अब यह देश में वीआईपी कल्चर को दर्शाता है। एक आम आदमी की गाड़ी और किसी मंत्री की गाड़ी में फर्क सिर्फ लाल बत्ती का ही होता है |
खासकर वीआईपी रूट के दौरान पुलिस लाल बत्ती के सायरन की आवाज सुनते ही बैरिकेट्स लगा देती है और कई जगह का ट्रैफिक रोक देती है, जिसकी वजह से आम लोगों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है
लाल बत्ती को हटाने का कारण :-
मंत्री परिषद् के वाहनों पर लाल और नीली बत्ती देने का एक मात्र कारण जनसेवन था | आमजनता की परेशानियों का निवारण करने के लिए समय पर पहुँच जाये इसके लिए सरकार द्वारा यह सुविधा दी गई थी, पर कुछ छुटमैया नेता, मंत्रियों के घरों में खाना बनाने वाले बावर्ची और ड्राइवर भी red lights के वाहनों में घूमने का शौक पूरा करते रहते हैं | इस तरह से लाल – नीली बत्तियों का फायदा उठाया जाता है | और कहीं न कहीं यही हाल सुरक्षा को भी लेकर रहा है, वीआईपी सुरक्षा में भी जरूरत से ज्यादा बलों का उपयोग होता है |
देश में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए समय-समय पर कई कदम उठते रहे हैं । पर अब जाकर यह ठोस फैसला लिया गया है कि यह प्रतिबंध फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, आर्मी और पुलिस के वाहनों पर लागू नहीं होगा | केवल मंत्रियों, जजों और अफसरों के वाहनों पर लाल बत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगाया जायेगा |