अल्बर्ट आइंस्टीन ( albert einstein ) को सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc2 के लिए जाने जाता है। चूंकि आइंसटाइन का सापेक्षता के विशेष और सामान्य सिद्धांत सहित कई योगदान रहा है इसलिए उन्हें ( albert einstein ) सैद्धांतिक भौतिकविद् कहते थे | इन्हे कई देशो की नागरिकता प्राप्त थी (जैसे कि जर्मनी, यू.एस., इटली, आस्ट्रिया,यूनाइटेड किंगडम, स्विट्जरलैंड)। आइंस्टीन शब्द बुद्धीजीवी का दूसरा नाम माना जाता है।
बाल्यावस्था :-
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन् 1879 को जर्मनी में वुटेमबर्ग के एक यहूदी परिवार में हुआ था| अल्बर्ट के पिता का नाम हरमन आइंस्टीन और माता का नाम पॉलीन आइंस्टीन था| उनके पिता एक इंजिनियर और सेल्समन थे |
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन् 1879 को जर्मनी में वुटेमबर्ग के एक यहूदी परिवार में हुआ था| अल्बर्ट के पिता का नाम हरमन आइंस्टीन और माता का नाम पॉलीन आइंस्टीन था| उनके पिता एक इंजिनियर और सेल्समन थे |
शिक्षा :-
बार बार स्थानांतरण होन के करन वे बचपन में सीखने और पढ़ने में बहुत ही कमजोर थे, फिर भी उन्होंने इटालियन और अंग्रेजी सीखी,जबकि इनकी मातृभाषा जर्मन थी | वर्ष 1880 में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया जहां उनके पिता और चाचा ने मिलकर बिजली के उपकरण बनाने वाली “Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Co.” नामक कंपनी खोली | आइंस्टीन कैथोलिक विद्यालय में पढने के लिए गये | वर्ष 1894 में, उनके पिता की कंपनी असफल होने के कारण आइंस्टीन का परिवार एक व्यापार की तलाश में इटली चला गया |
बार बार स्थानांतरण होन के करन वे बचपन में सीखने और पढ़ने में बहुत ही कमजोर थे, फिर भी उन्होंने इटालियन और अंग्रेजी सीखी,जबकि इनकी मातृभाषा जर्मन थी | वर्ष 1880 में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया जहां उनके पिता और चाचा ने मिलकर बिजली के उपकरण बनाने वाली “Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Co.” नामक कंपनी खोली | आइंस्टीन कैथोलिक विद्यालय में पढने के लिए गये | वर्ष 1894 में, उनके पिता की कंपनी असफल होने के कारण आइंस्टीन का परिवार एक व्यापार की तलाश में इटली चला गया |
वर्ष 1895 में आइंस्टीन ने स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक, जुरिच की एंट्रेंस परीक्षा दी, जिसको बाद में Edigenossische Technische Hochschule (ETH) के नाम से जाना जाता था| केवल दो विषय (भौतिकी और गणित) को छोड़कर बाकी दुसरे विषयो में असफल हो गए थे | और अंत में पॉलिटेक्निक के प्रधानाध्यापक के कहने पर वे स्विट्ज़रलैंड के आर्गोवियन कैनटोनल स्कूल गये | और सन् 1895-96 में अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा को वही से पूरी की |
उसके बाद 1896 में जर्मनी वापस अकर उन्होंने स्विस की परीक्षा अच्छे ग्रेड से पास की और फिर जुरिच पॉलिटेक्निक में उन्होंने 4 साल का गणित और भौतिकी का डिप्लोमा पूरा किया |

विवाह :-
अल्बर्ट आइंस्टीन ने दो शादियां की थी | उनकी पहली शादी (1903–1919) मीलेवा मारीक के साथ हुई | जिस साल अाइंस्टीन ने स्विस फ़ेडरल पॉलिटेक्निक का एग्जाम दिया था उसी साल मीलेवा ने भी पॉलिटेक्निक में एडमिशन ले रखा था | वह गणित और भौतिकिशास्त्र के 6 विद्यार्थियों में से वो अकेली महिला थी |
उनकी दूसरी शादी (1919–1936) एल्सा लौवेंथल के साथ हुअा |
उनकी दूसरी शादी (1919–1936) एल्सा लौवेंथल के साथ हुअा |
पुरस्कार :-
- 1900 में आइंस्टीन को जुरिच पॉलिटेक्निक डिप्लोमा से पुरस्कृत किया गया |
- 1921 में प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- 1923 में विज्ञान और कला के लिए ” Pour le mérite” का मैडल मिला |
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1999 में टाइम पत्रिका ने albert einstein को शताब्दी-पुरूष घोषित किया |
इसके अलावा भी और कई पुरस्कार थे जिसको उन्होंने अपनी झोली मे डाला |
सुविचार(Quotes):-
- जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
- प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है।
- जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षता है।
- ज्ञान से ज्यादा कल्पना जरूरी है।
- वक्त बहुत कम है अगर हमे कुछ करना है तो अभी से शुरू कर देना चाहिए।
- यदि आप किसी चीज़ को साधारण तरीके से नहीं समझा सकते है तो इसका मतलब है की आप उसको सही ढंग से नहीं समझ पाए हैं।
- मूर्खता और बुद्धिमता में यह फर्क है की बुद्धिमता की एक सीमा होती है।
- यदि आप प्रसन्नतापूर्वक जीना चाहते हो तो इसे एक व्यक्ति या वस्तु के बजाय एक लक्ष्य से बांधो।
मृत्यु :-
अपने जीवन मे आइंस्टीन ( albert einstein ) ने पचास से अधिक शोध-पत्र और विज्ञान से अलग किताबें लिखीं भौतिकी , विज्ञान और कला मे ढेरों योगदान देते हुए 18 अप्रैल 1955 को इस दुनिया से विदा लिया |
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